भारत के स्वधर्म पर हमला करने वाले तत्वों के खिलाफ युद्ध!
::::: राजीव गोदारा
हरियाणा के गुरुग्राम में 3 युवाओं ने मेवात के जफरुद्दीन को जबरन सैलून (बाल काटने की दुकान) में ले जाकर उसकी दाढ़ी कटवाई । आरोपियों ने जफरुद्दीन को धमकाया कि पुलिस को शिकायत की तो परिणाम बुरे होंगे मगर जफरुद्दीन ने हिम्मत दिखाई व पुलिस को शिकायत दर्ज कराई । उसे सलाम!
पुलिस ने केस दर्ज कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई में लगे समय के सवाल को छोड़ दे तो स्वागत योग्य।
इस तरह के मामलों में कानूनन केस दर्ज होना और आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद निष्पक्ष जांच व अदालत में ट्रायल समय से पूरा होना, कानून के दायरे में न्याय होना ही अपेक्षित है ।
मगर जो कानून के दायरे में अपेक्षित है वह पर्याप्त नहीं है । इसका अर्थ यह नहीं कि कानून के दायरे के बाहर जा कर आरोपियों को बिना ट्रायल के सजा दी जाए, ना ही इसका अर्थ है कानून को धता बताते हुए कोई फैसला किया जाए ।
हां कानून के दायरे में रहकर संविधान की मूल भावना को जीते हुए इस देश में विभिन्नता का सम्मान व हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी का एहसास करवाना भी तो कानून व संविधान के साथ साथ संविधान द्वारा निर्मित सरकार का दायित्व है । सरकार के साथ-साथ सुरक्षा, न्याय पर आधारित समता मूलक समाज की स्थापना हर नागरिक का एक तरफ सपना है तो दूसरी तरफ दायित्व भी है ।
तब हर नागरिक इस दायित्व के निर्वाह के लिए बुलंद आवाज में सत्ता व सरकार को ललकार कर कहेगा कि हमारे सपने के समाज व देश के निर्माण में बाधक किसी भी तरह की सत्ता को हम न्याय के पक्ष में खड़े लोग चुनौती देते हैं कि वह अपनी हरकतों से बाज आए ।
धर्म जाति क्षेत्र भाषा या लिंग के आधार पर किसी भी तरह के अन्याय का विरोध करने के लिए हम एक साथ डटकर खड़े होंगे । एक आवाज में अपना विरोध दर्ज करेंगे तभी हर रोज घट रही हिंसा को रोक सकते हैं । हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी का एहसास करवा सकते हैं
तो आइए किसी भी पहचान के आधार किसी भी हिंसा की घटना का एक स्वर में विरोध करें और यही हमारा स्वधर्म {लोकतंत्र, विभिन्नता, विकास (जो आखरी व्यक्ति से शुरू हो)}है, यही युद्ध क्षेत्र है ।
• युद्ध न्याय का अन्याय के खिलाफ !
• युद्ध प्रेम का नफरत के खिलाफ !
• युद्ध शांति का अशांति के खिलाफ !
• युद्ध समता का गैरबराबरी के खिलाफ!
• युद्ध भारत के स्वधर्म का इस पर हमला करने वाले तत्वों के खिलाफ !
मगर जो कानून के दायरे में अपेक्षित है वह पर्याप्त नहीं है । इसका अर्थ यह नहीं कि कानून के दायरे के बाहर जा कर आरोपियों को बिना ट्रायल के सजा दी जाए, ना ही इसका अर्थ है कानून को धता बताते हुए कोई फैसला किया जाए ।
हां कानून के दायरे में रहकर संविधान की मूल भावना को जीते हुए इस देश में विभिन्नता का सम्मान व हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी का एहसास करवाना भी तो कानून व संविधान के साथ साथ संविधान द्वारा निर्मित सरकार का दायित्व है । सरकार के साथ-साथ सुरक्षा, न्याय पर आधारित समता मूलक समाज की स्थापना हर नागरिक का एक तरफ सपना है तो दूसरी तरफ दायित्व भी है ।
तब हर नागरिक इस दायित्व के निर्वाह के लिए बुलंद आवाज में सत्ता व सरकार को ललकार कर कहेगा कि हमारे सपने के समाज व देश के निर्माण में बाधक किसी भी तरह की सत्ता को हम न्याय के पक्ष में खड़े लोग चुनौती देते हैं कि वह अपनी हरकतों से बाज आए ।
धर्म जाति क्षेत्र भाषा या लिंग के आधार पर किसी भी तरह के अन्याय का विरोध करने के लिए हम एक साथ डटकर खड़े होंगे । एक आवाज में अपना विरोध दर्ज करेंगे तभी हर रोज घट रही हिंसा को रोक सकते हैं । हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी का एहसास करवा सकते हैं
तो आइए किसी भी पहचान के आधार किसी भी हिंसा की घटना का एक स्वर में विरोध करें और यही हमारा स्वधर्म {लोकतंत्र, विभिन्नता, विकास (जो आखरी व्यक्ति से शुरू हो)}है, यही युद्ध क्षेत्र है ।
• युद्ध न्याय का अन्याय के खिलाफ !
• युद्ध प्रेम का नफरत के खिलाफ !
• युद्ध शांति का अशांति के खिलाफ !
• युद्ध समता का गैरबराबरी के खिलाफ!
• युद्ध भारत के स्वधर्म का इस पर हमला करने वाले तत्वों के खिलाफ !
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