भारत में सालों साल से समय समय पर किसी न किसी धर्म के अनुयायियों द्वारा धार्मिक यात्रा/मार्च या सार्वजानिक तौर पर धार्मिक गतिविधियों का आयोजन होता आया है | इन धार्मिक यात्राओं के चलते सार्वजानिक जीवन में थोड़ी या ज्यादा बाधाएं भी आती ही रहीं हैं | मगर कुछ एक घटनाओं को छोड़ कर समाज विभिन्नता का सम्मान करते हुए, समाज में भिन्न -भिन्न धर्मों व संस्कृतियों के बीच सह अत्स्तित्व की न्यूनतम मर्यादा का पालन करते हुए सहयोग करता आया है | धार्मिक यात्रा में शामिल रहने वाले वर्ग में भी सह अस्तित्व की मर्यादा का भाव हमेशा ही बना रहा है | यह ठीक है कि बीच बीच में साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा ताकतवर समूह को सर्वोच्यता का अहसास करवा आकर धार्मिक यात्रों में बाधा डालने व माहौल को साम्प्रदायिक टकराव का रूप देने की कोशिश होती रही है | यह भी सही है कि इसी सर्वोच्यता व् नफ़रत के भाव से हिंसक हुआ कोई समूह धार्मिकता के नाम पर हिंसक भी हुआ व् साम्प्रदायिक आग भी फैली | शायद वह दौर तो कभी नहीं आया होगा जब यह कहा जाने लगे कि अमुक धार्मिक यात्रा में शामिल लोगों पर कानून व्यवस्था कैसे लागू की जा सक...
श्री अरविन्द केजरीवाल, संयोजक (आम आदमी पार्टी) के नाम खुला पत्र आम आदमी पार्टी की अनुशासन समिति द्वारा चार प्रमुख सदस्यों प्रशांत, योगेन्द्र, आनन्द कुमार व अजित झा को पार्टी से निष्कासित किये जाने के फैसले की हम { परमजीत सिंह ( सचिव ) व राजीव गोदारा ( मुख्य प्रवक्ता ) आम आदमी पार्टी }, घोर निंदा करते हैं व इस फैसले को आप के मूल सिद्धांत स्वराज के खिलाफ मानते हैं | जिस अनुशासन समिति का गठन 29 मार्च को किया गया उसी समिति ने प्रशांत भूषण , योगेन्द्र यादव , आनन्द कुमार व अजीत झा को कारण बताओ नोटिस जारी कर 48 घंटे में जवाब मांगा | प्रशांत , योगेन्द्र व आनन्द कुमार ने विस्तृत जवाब दिए जबकि अजीत झा ने नोटिस भेजने वाली अनुशासन समिति को असैंवधानिक करार देते हुए जवाब नहीं दिया | प्रशांत व योगेन्द्र ने कारण बताओ नोटिस के अपने जवाब में समिति के दो सदस्यों पंकज गुप्ता व आशीष खेतान से निवेदन किया था कि वे दोनों लोग पहले ही प्रशांत व योगेन्द्र के खिलाफ सार्वजनिक ...
किसान की मुक्ति , फसल का पूरा दाम व कर्ज मुक्ति किसान को कभी देश के लिए अन्न पैदा करने को कहा गया व पूरा दाम नहीं दिया।फिर सरकारी आयोग की सिफारिश के बाद भी फसल की लागत का डेढ़ गुना दाम नहीं दिया । हिसाब करो , किसान देनदार नहीं लेनदार है , इसलिए कर्ज के खातों पर लाइन मारो , इसी आधार पर खेती , किसानी व गाँव बचाना हमारी राजनीतिक लड़ाई होगी , तभी सत्ता डोलेगी , अपने कान खोलेगी | देशभर में किसान (किसान यानी जिसका भी जीवन खेती के व्यवसाय पर निर्भर है , चाहे वह खेत मालिक हो या फिर खेत मजदूर , बटाईदार हो या कि पट्टेदार) बदहाल है , खेती घाटे का सौदा बन गई है । हरियाणा में हालत और भी खराब है जहां शहरीकरण के नाम प...
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