हिंदी के एक अख़बार ने खबर छापी है की हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल जी ने पबनावा (जिला कैथल ) का दौरा किया (ये वह गाँव है जहाँ के दलितों पर एक अन्य जाती के लोगों ने हमला कर दिया था जिसके चलते दलितों को गाँव छोड़ना पडा था, हमले की वजह दलित युवक व् दूसरी जाति "रोड " की युवती ने शादी किया था ) । 
मंत्री जी ने कहा कि " गाँव के लडके लड़की के बीच शादी सामाजिक ताने बाने के खिलाफ है, इस मामले में दोनों समुदाय के लोगों की गलती है इसलिए दोनों समुदाय के लोगों को मिल शांति बनाने की कोशिश करनी चाहिए" । 
मंत्री जी आप क्या सामाजिक ताने बाने के चलते मंत्री हैं या फिर संवैधानिक व्यवस्था के चलते ? 
क्या संवैधानिक व्यवस्था व् प्रावधान एक ही गाँव के युवक युवती को शादी करने की छूट नहीं देता ?
यदि सविंधान ये छूट देता है (देश के सविंधान व् काननों के तहत युवक व् युवती को एक ही गाँव के होने के बाबजूद शादी करें की छूट है ) तो आप दुवारा दिया गया ब्यान सविधान के विरूद्ध नहीं है ?
यदि आपका ब्यान सविंधान के विरूद्ध है (जो की सविंधान विरूद्ध है ) तो क्या आपको मंत्री बने रहने का अधिकार बचता है (जब की आप ने उसी सविंधान की शपथ लेकर मंत्री पास संभाला था) ?
मंत्री जी आपने सविंधान के विरूद्ध ब्यान दिया है । आपके ब्यान ने हमलावर लोगों को हौंसला दिया है व् पीड़ित परिवारों को कानून व्यवस्था व् शांति बिगड़ने के लिए बराबर का भागीदार बता कर दलित अस्मिता की सम्मानजनक स्वीकृति को नकारा है । यदि किसी स्थिति में किसी समुदाय या जाती का कोई एक या कुछ लोग किसी अपराध में शामिल हो तब भी किसी ताकतवर समुदाय को ये अधिकार नहीं मिल जाता की वह दुसरे समुदाय या जाती के लोगों पर व्यक्तिगत या सामूहिक हमला कर । इस केस में तो दलित युवक या किसी और ने कोई अपराध किया ही नहीं । किसी भी हालात में दलित समुदाय के लोगों को तथाकथित शांति बिगड़ने के लिये दोषी नहीं ठहराया जा सकता ।
मंत्री जी के इस ब्यान की भ्रत्सना करते हुए दलित समाज को न्याय दिलाने की मांग करते हुए, हम कहना चाहते हैं की बिना न्याय के शान्ति हो नहीं सकती । न्याय व् शांति के लिए जहाँ दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए , वहीँ दलित समाज के बराबरी के अधिकार को व्यवहार व् मन में स्थान देते हुए सम्माज को सम्मानजनक स्वीकृति देने ही होगी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

धार्मिक यात्रा के समय सडक पर आतंक का साया क्यों ? : राजीव गोदारा

किसान की मुक्ति, फसल का पूरा दाम व कर्ज मुक्ति